वादों पे मरते देख सबको,
उनसे बड़ा डर लगता है,
बड़ी बेबसी है दिल की,
दूर जाऊं तो अजीब सा लगता है,
कुछ बेताबी-कुछ उलझन सी है,
वो भी बेवफा सा लगता है,
जब भी सोंचू हो जाऊं दूर,
कुछ पेंच फंसा सा लगता है,
गए महीने हैं कुछ दिन बाकि,
कुछ और गुजर जाये ऐसा लगता है,
बिन तेरे तो कुछ ठीक कुछ ख़राब,
कुछ सिर्फ तेरे जैसा लगता है,
टूट न जाये बढीं ये डोर,
डर कुछ ऐसा लगता है..!!!
प्रशान्त मिश्र